क्यू जानवरों की तरह यहाँ इंसान रहते है























हमने तो सुना था इस बस्ती में
कुछ इंसान रहते है
अब जाना यहाँ कुछ हिन्दू
कुछ मुसलमान रहते है

देखकर दुनिया की ऐसी हालत
ख़ुदा भी पशेमाँ रहते है

इंसानो को तो जानवरो से
बेहतर बनाया था
फिर क्यू जानवरों की तरह
यहाँ इंसान रहते है


पशेमाँ - शर्मिंदा, लज़्ज़ित

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