hindi shayari and kavita

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सुन ए दुश्मन अभी नादान है तू

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सुन ए दुश्मन  अभी नादान है  तू  हमारी  ताकत से अनजान है तू  सिंदूर जो तूने  मिटाया था  वही तो शोला बनकर बरसा है  अंजाम सोच  तेरा  क्या होगा ...

यूँ जो लिखते रहते हो तुम

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यूँ जो  लिखते रहते हो तुम  मेरे दर ओ दीवार पर  मोहब्बतों के  पैगाम बगैरह  तुम्हारे कारनामो से  हमारे सर पे आये है  कई इलज़ाम बगैरह  अच्छा होत...

एक अहल ए दिल है ऐसी

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एक अहल ए दिल है ऐसी   जो दर्द - आश्ना लगे  खुश्बू लिए गुलों की जो  महकी - महकी सबा लगे   इस क़दर  रानाई की   हुस्न  भी  बला  लगे  सादगी में  ...

मुझे मालुम नहीं कि आकर क्यू

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मुझे मालुम नहीं कि आकर क्यू  रोज निँदो से जगाता है मुझको  मुसलसल साँसों में रहती  जाने क्यू तेरी रवानगी है  आइना देखता हूँ जब भी  तेरा अक्स ...

यूँ ही नहीं ए मौत तुझे

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यूँ ही नहीं ए मौत तुझे  हर बार हँसते हुए हराया है  पोशीदा साथ रहता मेरे  माँ की दुआओ का सरमाया है 

कैसे समझूँ की मुझे प्यार कर रहे हो तुम

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कैसे समझूँ की मुझे  प्यार कर रहे हो तुम  वफ़ा के बदले दिल  फ़िगार कर रहे हो तुम  दिलासा देते हो चारा - गर  ज़ख्म भरने का मगर  शिफ़ा के नाम पर  ब...

जो फ़ना हो कभी ना

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जो फ़ना हो कभी ना  ये माना मेरे दिल को  वो चाहत है तुझसे  मोहब्बत है तुझसे  मगर दिल में यारा  ये वहशत है तुझसे  ग़ज़ल क्या कहूं  शेर मै क्या सु...

कर चुके शुमार मुझको

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कर चुके शुमार मुझको  दिल के जब बीमारों में  नाम छप गया गुनाह ए  इश्क़ के अख़बारों में  रफ़्ता रफ़्ता बिकने लगा  जब दर्द ए दिल बाज़ारों में  हो गए...

दरख़्त के सूखे पत्ते की मानिंद

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दरख़्त  के  सूखे पत्ते की मानिंद   रिश्ते  दिल के  बिखर जाते  है  सौगात खट्टी  मीठी यादों के देकर   हमराही  दिल के बिछड़  जाते  है 

ख़ारा न हो जाये उस दरिया का पानी

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ख़ारा न हो जाये उस दरिया का पानी  मुसलसल आसुंओ  के अब  सैलाब से  जिस क़दर बिखर गई  जिन्दगिया   ख़ुदा इस सिलसिला-ए-इज़्तिराब से 

इस जहां में अम्न हो

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इस जहां में अम्न हो  कहीं नफ़रतें न हो दरम्यां  मांग लो न एक दुआ तुम  अपने फ़ज़्र की नमाज में  

तेरे निग़ाह से गिरकर बिखर न जाऊं मै कहीं

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तेरे निग़ाह  से गिरकर  बिखर न जाऊं मै कहीं  मै तेरा अश्क़ हूँ  आँखों में छुपा ले मुझको  बनाया अक़्स जो  ख़ुद का  तो रख हरपल नूर में अपने  तू फ़रि...

वाहिद ये किस मुक़ाम पर ले आई जिंदगी तुम

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वाहिद ये किस  मुक़ाम  पर   ले  आई  जिंदगी  तुम  देखूं जो मुड़के पीछे  कुछ  आता  नहीं  नज़र ...... आँखों में गहरे ज़ख्म है  यादों के चराग़ है  दिल...

फ़ासला करता है क्यू

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फ़ासला करता है क्यू  होता वो जब करीब है  बशर आदमी तू मुहीब  है  मेरे हबीब का रक़ीब है 

मेरे दर्द का था जो आश्ना

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मेरे दर्द का था जो आश्ना  वो मेरा ख़ुदा कोई और था  सर ए राह मुझसे मिला था जो  वो रहनुमाँ कोई और था   चाहतों के रहगुज़र पर  शीशा ए दिल बिखर गई ...

जुगनू परिंदे कश्ती किनारा

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जुगनू परिंदे  कश्ती किनारा  सहरा समंदर की  बाते मै करता हूँ  माहताब से दिल की  यारी है अपनी  सितारों के महफ़िल से  फिर भी  मुकरता  हूँ  क़लम क...

ऐब हो या कि हुनर हो मुझमे

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 ऐब हो या कि हुनर हो मुझमे  रहती यूँ शाम ओ सहर हो मुझमे  आइना देखता हूँ तो तुम नज़र आती हो  दिल ओ दिमाग पर छाई इस क़दर हो मुझमे 

दाइम-उल-हब्स रिसालों के

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  दाइम-उल-हब्स रिसालों के  सहते रहते  दिलकश अलफ़ाज़    ग़ज़ल गायिकी से अपनी मगर   अंधेरों में उन्हें खोने न दिया     है यही दुआ बशर की   उन्हें ...

कर चुके बर्बाद ख़ुद को

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 कर चुके  बर्बाद  ख़ुद को  ज़ाम - ओ - मीना  में  बशर'  कहता न था  साक़ी से इतनी  दिलबरी अच्छी नहीं 

हो चुकी इस दिल को मेरी

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हो चुकी इस दिल को मेरी अब है आदत आपकी जाने क्यू जाती नहीं इस दिल से चाहत आपकी अश्क बनकर ख्वाहिशे मेरी बरस जाती है इन आँखों से उतर आते है याद...

रगों में दौड़ती है शायरी

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  रगों में दौड़ती है शायरी  मेरे लहू के साथ साथ  जज़्बात फ़क़त दिल के   लबों तक लाने के वास्ते 

कूज़ा-गरो से कह दो

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 कूज़ा-गरो से  कह दो  इसे  चाक पर ले जाए  बशर ख़ाक हो चूका है  इसे बुत नया बनाये  

क़ुबूल कर चुके अपने सारे गुनाह

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क़ुबूल कर चुके अपने सारे गुनाह मुंसिफ के सामने दिल को गुमाँ है तमाम उम्र बशर रिहाई तो न होगी

दरमियाँ हो ग़र वादा - वफ़ा

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दरमियाँ हो ग़र वादा - वफ़ा फिर तोडा नहीं जाता   राह ए मोहब्बत में यूँ ही बशर, छोड़ा नहीं जाता

हर बार लगा दिल को ये आखिरी मोहब्बत है

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हर बार लगा दिल को  ये आखिरी मोहब्बत है  हर बार खुदा तूने  लिख दी नया अफ़साना  अनजान रास्तो पर  चलता रहा मुसाफ़िर  गाता रहा यूँ दिल से  मोहब्बत...

ये कैसा रब्त है तुझसे जो मेरे रूह से वाक़िफ़ है

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ये कैसा रब्त है तुझसे  जो मेरे रूह से वाक़िफ़ है  मसअला जो भी है ख़ुदा जाने  आश्ना दिल ये  ना-वाक़िफ़ है 

रफ़ाक़त रखते है शज़र से फ़क़त वो सहर होने तक

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रफ़ाक़त रखते है शज़र से  फ़क़त वो सहर होने तक  दग़ाबाज़ी बशर  जिनके  ग़ुर्बत में होती है  चाहे  कितनी  ही मोहब्बत   दिल  की  क्यू  न  दे  दे शज़र   ...

वक़्त से कह दो बशर

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वक़्त से कह दो बशर  गुजरे मगर आहिस्ता   जिंदगी  के बिसात पर  अज़ब बाज़ी लगाए बैठे है  किस्मत  ने चल दी है  नई चाल कुछ ऐसी कि  शाह मात को बचाने ...

वक़्त से कह दो बशर गुजरे मगर आहिस्ता

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वक़्त से कह दो बशर  गुजरे मगर आहिस्ता   जिंदगी  के बिसात पर  अज़ब बाज़ी लगाए बैठे है  किस्मत  ने चल दी है  नई चाल कुछ ऐसी कि  शाह मात को बचाने ...

सर झुके जिससे वतन का

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सर झुके जिससे वतन का  क्यू इस क़दर उस दर को जाए  रहकर तू अपने वतन में  क्यू न इसे तू बेहतर बनाये 

जबतलक सांसे है मुझमे

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जबतलक सांसे है मुझमे  जबतलक ये जिंदगानी है  जबतलक रगों में मेरे  सुर्ख लहू की रवानी है  बहता रहेगा लहू में घुलकर  वतन परस्तिश मुझमे बशर ...

जो सांसे भेजता है मुझे शब-ओ-रोज़

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जो सांसे भेजता है मुझे शब-ओ-रोज़ मै काम उसी का कर रहा जिस राह से वो कह रहा उस राह से मै गुजर रहा मै छलक रहा वो भर रहा मुझे ख़ाकसार वो कर रहा ...

निकाला था जिन्हे किसी नाख़ुदा ने

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निकाला था जिन्हे किसी नाख़ुदा ने  वक़्त के बेरहम तूफानों से  पाला जिन्हे  दिल से लगाकर  बदहाल मुफ़्लिसी के महीनों में  सहना पड़ा उस नाख़ुदा को ज़ह...

ग़ुम रहता हूँ इस क़दर

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ग़ुम रहता हूँ इस क़दर तेरी यादों में जान ए जां डरता हूँ सर ए महफ़िल लबों पर तेरा नाम न आ जाये मिला कर ख्वाबों ख्यालों में यूँ ही आ कर तू मेहर ब...

वा'इज़ को गुमाँ है

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वा'इज़ को गुमाँ है  कि ख़ुदा को जानता है वो फ़क़त  पर ख़ुदा जानने जैसी  कोई शय नहीं  ना समझ ये जानता ही नहीं 

सियाह अंधेरो से आशनाई है अपनी

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सियाह अंधेरो से  आशनाई है अपनी  जुगनू हूँ सितारों की  सोहबतों से डरता हूँ  रौशन हूँ उस नूर से  जो मेरे दिल में जलता है  उजालों के बस्ती में ...

उड़ता रहता मै हर पल

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उड़ता रहता मै हर पल  उसी के जोश पे हूँ  एक ज़र्रा हूँ फ़क़त रहता  हवा के दोश पे हूँ 

बिछड़ रहे हो ए साल मुझसे

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बिछड़ रहे हो ए साल मुझसे  देकर मुझे अपनी यादें तमाम  दर पर खड़े हो क्यू अजनबी सा  नए साल तुझको मेरा एहतराम 

रेख़्ता तेरे रहगुज़र का

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रेख़्ता तेरे रहगुज़र का  अनजान एक मुसाफ़िर हूँ मै  इश्क़ ही है मेरा ख़ुदा  वगरना दिल से काफ़िर हूँ मै 

'अहद-ए-वफ़ा के नाम पर

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'अहद-ए-वफ़ा के नाम पर मुझे ले गया मजधार तक फिर फेंक कर पतवार को कहता बशर' मुझे प्यार कर वा'दा-ख़िलाफ़ी की सज़ा देनी है कहकर प्या...

फ़िराक में ही जिन्दा है बशर'

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फ़िराक में ही जिन्दा है बशर' हरदम अपने जुनून में रहता है जहाँ में है भी और नहीं भी ख़्यालों के कूकून में रहता है

इसलिए छुपकर शराब पीता हूँ

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लगाकर दिल अपना दिलकश सहराओं से बा-चश्म-ए-तर सराब पीता हूँ चारा-साज़ी छोड़ दी है मेरी चारागर ने हिज़्र ओ ग़म का अज़ाब पीता हूँ कसमें दे रखीं है ...

रवा था सफ़र कश्ती का

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रवा था सफ़र कश्ती का मोहब्बत के समंदर में ना दानिस्ता अपने माझी से दिल ने की बेबफ़ाई है लरज़ते होठों से मुसलसल सदायें देता रहा फिर दिल ख़ुदा-ओ न...

माफ़ कर मुझको ख़ुदा तुझसे रफ़ाक़त की नहीं

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माफ़ कर मुझको ख़ुदा  तुझसे रफ़ाक़त की नहीं  गुजार दी ये उम्र सारी  तेरी इबादत की नहीं  खो गया मै इस सफ़र में  बस रास्ते बदलता रहा  झूठ के ही रहगु...

बचपन से मुलाकातें होती है

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जब कभी ख्यालों में  बचपन से मुलाकातें होती है  तन्हाई में कहीं बैठकर  दिल की सारी बाते होती है  गिल्ली डंडे कटी पतंगे  छल कबड्डी छुपन छुपाई ...

चुराया दिल किसी ने तो

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चुराया दिल किसी ने तो किसी ने बटुआ मारी जिसे जो चाहिए था ले गया वो शय हमारी हुनर में दोनों थे माहिर गज़ब की थी तैयारी एक की रस्म ए यारी दूजे ...

इस दिल से चाहत आपकी

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हो चुकी इस दिल को मेरी अब है आदत आपकी जाने क्यू जाती नहीं है इस दिल से चाहत आपकी अश्क बनकर ख़्वाहिशें भी बरस जाती है इन आँखों से उमड़ आते है य...

बुद्धि से कर ली परिक्रमा

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बुद्धि से कर ली परिक्रमा माता गौरी पिता महेश की इसीलिए तो सबसे पहले होती है पूजा श्री गणेश की बिघ्नहर्ता कर दो निवारण जीवन के हर कलेश की आओ ...

बंदा-पर्वर इश्क़ का

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  हो अभी नए मुसाफ़िर तुम बशर' राह ए इश्क़ की ये बात मुझको कह रही रह रह के नाराज़गी तेरी बंदा-पर्वर इश्क़ का दिल होता है महबूब का सर झुका सज़...

फ़ना के बाद ही इश्क़ तुझको

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  फ़ना के बाद ही इश्क़ तुझको फ़रिश्ता कह के पुकारा गया पहले बे-रहम इस ज़माने में तुझे मक़्तलों से ही गुजारा गया

जिनको समझा था राहत ए जां

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जिनको समझा था राहत ए जां देने वो मुझको आज़ार आये सुनकर मेरी अब दर्द ए वफ़ा कुछ उनको भी क़रार आये हम अहल ए दिल के नसीबों में फ़क़त दर्द भरे किरदा...

ख़ुदा तू कभी मिल जाता था

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तलाश करता हूँ मै तुझे  दर ब दर अब इन ख़ुदाओं  में   ख़ुदा तू कभी मिल जाता था   मुझे मेरी माँ की दुआओ  में  

फिर एक बेटी के लहू से

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फिर एक बेटी के लहू से ये वतन लहूलुहान है खो रही इसकी बेटियां ये बैचेन है परेशान है मर गई है इंसानियत कहीं आज मर गया इंसान है चलती फिरती लाशे...

सरहद को तेरे छू न सके

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सरहद को तेरे छू न सके कोई नफ़रत भरी निगाहों से बेटियां तेरी महफूज़ रहें हर जुर्म की बलाओं से जाये न बहारे कभी तेरी महकी फ़ज़ाओं से अम्न की खुश...

कैसी रक्षा कैसा बंधन

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रो रहा है दिल मेरा फ़क़त सोच कर इस बात को क्या क्या गुजरी होगी एक बहन पर उस रात को कैसी रक्षा कैसा बंधन जब वतन का दिल जल रहा उस बहन के क़ातिलों...

वतन की बेटियां खो जाएगी

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जाने कब कहाँ किस भेष में  हर कहीं फिर रही है दरिंदगी  जाने क्यू वतन से मेरे  अब नहीं जा रही ये गंदगी  बेटियों के साथ हर पल  हो रहा कहीं अन्य...

नूर तुझमे है कि जैसे

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शायरी  नूर तुझमे है कि जैसे शय कोई खुदाई हो अहल ए दिल अहल ए नज़र तुम आसमां से आई हो ग़ालिब की हो कोई ग़ज़ल तुम मीर की रुबाई हो ग़ुल हो या गुलश...

आसमां की ऊंची उड़ानों में

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आसमां की ऊंची उड़ानों में मेरे पाँव जमीं से उखड गए ए जिंदगी तेरी रेस में कई दोस्त मुझसे बिछड़ गए

दिल की हसीं वादियों में

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दिल की हसीं वादियों में यूँ ही कहीं पनप जाता है प्यार  गूंजता है फिर होठों पर  आँखों में झलक जाता है प्यार  खूबसूरत कोई जज्बात है ये  जो हसी...

सफ़्हा- सफ़्हा रिसाले यादों के

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सफ़्हा- सफ़्हा रिसाले यादों के मेरे कमरे में बिखरने लगे गुजरे लम्हे विसाल ए यार के सामने नज़रों के गुजरने लगे जख्म सारे जो दफ़्न थे मिले राह ए म...

सरहदों के पासबाँ का बस यही है दास्तां

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सरहदों के पासबाँ का बस यही है दास्तां सरजमीं के वास्ते वे छोड़ जाते है जहां वतन ही उनका इश्क़ है वतन ही उनका प्यार है शहीदों के फ़ेहरिस्त में...

नमन करे हम इन शहीदों को

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नम है आंखे जाने से उनकी  पर नाज़ है उनके जीने पर  वतन - परस्तिश के राहों में  जिसने गोलियां खाई सीने पर  जवानी के नई दहलीज़ पे जिसने  सरहद से ...

शहर ए उम्मीद में बशर'

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शहर ए उम्मीद में बशर' जिंदगी की रफ़्तार बहुत है एक दूजे से आगे निकलने में यहाँ सब बेक़रार बहुत है सुकून ए दिल का कोई मंज़र दूर दूर तक नहीं ...

सदाए जो भी तुझे देता हूँ दिल से ए दोस्त

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सदाए जो भी तुझे देता हूँ दिल से ए दोस्त बे-जान इन पहाड़ों से टकरा के लौट आती है ग़ुम हो तुम इन हसीं वादियों में जाने कहाँ हवा में खुशबू मुझे...

एक बुत से इश्क़ कर के

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एक बुत से इश्क़ कर के तनहा हूँ बुतक़दे में ज़ाम ए अश्क पी रहा हूँ वहशत के मैक़दे में

दर्द है दिल का

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दर्द है दिल का  ये कैसी बे-क़रारी है  शोर है ग़र 'आरज़ी  क्यू दिल भारी भारी है  न हमदर्द है कोई बशर'   न हर्फ़ ए ग़म-गुसारी है  राह ए ज...

एक लम्हा हूँ वक़्त का गुज़र जाऊंगा

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एक लम्हा हूँ वक़्त का गुज़र जाऊंगा  सदायें मुझको न दे, कि न ठहर पाउँगा  सफ़र में मै भी हूँ अपने और तू  भी है  गुजरकर तुझसे यकसर बे-नज़र जाऊंगा  ...

तू समंदर है ग़र तो अपनी लहरों में

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तू समंदर है ग़र तो अपनी लहरों में समां ले मुझको बेताब दरिया हूँ मुझको बेशक़ ख़ुद सा तू खारा कर दे पर तू माझी है ग़र मेरा तो दरिया के इस तलातुम स...

दिल को राहत मिले ग़र

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दिल को राहत मिले ग़र चाक दिल ओ जां हो जाये मेरी क़लम को 'अता फ़क़त उसकी दर्द ए वफ़ा हो जाये लाज़िम है इज़्तिराब ए दिल मेरे शे'र-ओ-सुख़न के...

नज़रे मिली जो आपसे

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नज़रे मिली जो आपसे तो हमने शऱाब छोड़ दी ज़ाम ए इश्क़ के जुनूं में हमने शय ख़राब छोड़ दी एक ही तो ऐब थी उसकी ख़्याल ओ ख़्वाब छोड़ दी इश्क़ मेरा इश्क़ न ...

सदियों का रिश्ता है कुर्सी का हम इंसानों से

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सदियों का रिश्ता है कुर्सी का हम इंसानों से कटता है जब जंगल, कुर्सियां बरसती है आसमानों से कुर्सी में अकड़ है कुर्सी में पकड़ है चिपक जाती है ...

मुसलसल खोते रहे कभी

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  मुसलसल खोते रहे कभी खोकर फिर तुझे पाते रहे है हम अपने ख्वाबों ख्यालों में यूँ ही तुझे अपना बनाते रहे है हम

दर्द ओ ग़म के सफ़र से मैं गुजरता चला गया

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  दर्द ओ ग़म के सफ़र से मैं गुजरता चला गया वो शख़्स दिल से रफ़्ता रफ़्ता उतरता चला गया ख़्वाबों का महल नज़रों के आगे बिखरता चला गया यादों के सैलाब ...

बे-दर-ओ-दिवार मकां है इस दिल का

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बे-दर-ओ-दिवार मकां है इस दिल का कोई भी कभी भी आता-जाता रहता है सुकुन ए दिल तो पहले ही चोरी हो गई अब तो मेरी नींदे भी उडाता रहता है

तू न रु ब रु न ही गुफ़्तुगू

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तू न रु-ब-रु न ही गुफ़्तुगू फिर भी रहे संग तू ही तू हर वक़्त काबिज़ दिल पे है, तेरी जुस्तुजू तेरी आरज़ू

निहत्थों पर गोलियां चलाकर

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निहत्थों  पर गोलियां चलाकर बहादुरी क्या तुम दिखलाते हो अपने आने वाले पीढ़ियों को बस खून बहाना सिखलाते हो रोटियों को तरसते है आवाम तेरे तुम फि...

दश्त-ओ-सहरा में दिन रात चल रहा हूँ मैं

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दश्त-ओ-सहरा में दिन रात चल रहा हूँ मैं बरसते आब मैं हूँ फिर भी जल रहा हूँ मैं ग़मों ने मुझको संभाला है बड़ी मुश्किल से शब् ए तन्हाई के दामन मे...

कुचा ए इश्क़ से ख़ामोश गुजर जाता हूँ मैं

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  कुचा ए इश्क़ से ख़ामोश गुजर जाता हूँ मैं अपने हर वादों से मदहोश मुकर जाता हूँ मैं लफ़्ज़ों में बयां कर नहीं पाता हूँ जब दिल की बातें अश्क़ बनकर...

आइना ए दिल मेरा है

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आइना ए दिल मेरा है अक्स ए ज़माल उसका है हर्फ़ दर हर्फ़ लफ्ज़ मेरे है दौर ए हर्फ़ सारा ख़याल उसका है जज़्बात दिल से निकलते है मेरे यूँ तो शे'र-...

मैंने दर ए दिल पे उसका इंतज़ार लिखा है

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  मैंने दर ए दिल पे  उसका इंतज़ार लिखा है जिसने मेरे इस दिल पे बेक़रार लिखा है तक़दीर ने दोनों का अज़ब क़िरदार लिखा है उसके नज़रों में मुझे गुनह...

हर तरफ हर जगह जब शहर ही बसाओगे

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  हर तरफ हर जगह जब शहर ही बसाओगे कंक्रीट के जंगल में फिर ठंडी हवा कहाँ से लाओगे मुझको ऐसा लगता है शायद शजर आसमां पर तुम लगाओगे फिर ठंडी हवा ...

न ग़ुल से है निस्बत न गुलज़ार से है

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न ग़ुल से है निस्बत न गुलज़ार से है मसअला मेरा तो फ़क़त दिल ए बेक़रार से है अहवाल दिल का बयां कर चूका लफ़्ज़ों में बहुत सुख़न फ़हम है वो हाल ए दिल ...

मैं जानता हूँ कि मेरे जिस्म में

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मैं जानता हूँ कि मेरे जिस्म में क़तरा - क़तरा कुछ दिनों में यूँ भी तुम फ़ना हो जाओगे रग़ों में दौड़कर मगर किसी अनजान के तुम किसी जिंदगी के लिए म...

मेरे देश को न मज़हबी दीवार दे कोई

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  मेरे देश को न मज़हबी दीवार दे कोई शहर- शहर दंगे न बलात्कार दे कोई हर शख़्स के हाथों में रोजगार दे कोई शहीदों के गुलिश्तां को बहार दे कोई

प्यास आँखों में भरकर पानी देखूँ

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प्यास आँखों में भरकर पानी देखूँ दिल है कि दरिया का रवानी देखूँ जिस्म के सरहदों के पार जाकर चश्म-ए-दिल तुझको रूहानी देखूँ

बदलते मौसम की तरह निगाहें भी बदल जाती है

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  बदलते मौसम की तरह निगाहें भी बदल जाती है मंज़िलों के जुदा होते ही राहें भी बदल जाती है

तेरा ख़ुदा मेरे ख़ुदा से जुदा है क्या

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तेरा ख़ुदा मेरे ख़ुदा से जुदा है क्या फिर क्यू दीवारे है दरम्यां ये वाक़्या है क्या मंदिर में ख़ुदा है तो फिर मस्जिद में कौन है ग़र सारे ही उसके ...

आफ़ताबों ने तो जला दिए मकां दिल के

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  आफ़ताबों ने तो जला दिए मकां दिल के एक दीया ने मेरे घर को रौशनी दी है समंदरों ने तो मुसलसल मुझको प्यासा रखा एक दरिया ने फिर नई जिंदगी दी है

राह ए जिंदगी में ग़र मुझे हम-नवा करे कोई

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  राह ए जिंदगी में ग़र मुझे हम-नवा  करे कोई  इस क़दर राह ए वफ़ा में न फ़ासला करे कोई   'अहद-ए-वफ़ा ग़र करे तो बेहतर है बशर  मुसलसल इस दिल को ...

मैक़दे में सारी रात गुजरी

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  तृषणगी ए ज़ाम ए निग़ाह अपने औज ए आरज़ू पे थी अफ़सोस नज़र ए साक़ी मगर ख़ुम-ओ-सुबू पे थी मैक़दे में सारी रात गुजरी फिर भी बशर' तुम प्यासे रहें ...

अपने इस दिल को आइना मैं कर लूंगा

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अपने इस दिल को आइना मैं कर लूंगा ए दोस्त तुम पत्थर दिल से मारो तो सही

रास्ते ही रहनुमा होते है

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रास्ते ही रहनुमा होते है तन्हा मुसाफ़िर के एक मील का पत्थर भी काफ़ी है रहबरी के लिए महफ़िल ओ सामे'ईन ही नाक़ाफी है बशर' सुख़नवरी के लिए ...

हो रहा है दिल किसी का रफ़्ता रफ़्ता जाने क्यू

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इश्क़ को रब की दुआ समझा इबादत की तरह पढ़ लिया एक किताब ए दिल जो हमने आयत की तरह ज़ीस्त थी बेरंग अपनी ग़ुम अंधेरों में कहीं नूर से रौशन हुआ दिल...

जुनून-ए-परस्तिश में

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जुनून-ए-परस्तिश में हुजूम  दर पे ख़ुदा के यूँ बेतहाशा न बना बशर' इबादत कर चंद तस्वीरों के लिए ख़ुदा के घर को यूँ तमाशा न बना

बड़ी बेताबी है दरिया को

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बड़ी बेताबी है दरिया को समंदर से मिलने की मगर जब तलक वो दरिया है आब ए हयात है उसमे

जले की दफ़्न हो, एक दिन बदन तो ख़ाक होनी है

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जले की दफ़्न हो, एक दिन बदन तो ख़ाक होनी है मसअला पैकर का है वो जाने क़फ़स से रूह तो रिहा होनी है ख़्वाहिश ए दिल है कि सबा में घुल के मेरी ख़ुश्बू...

इन किताबों से जी भर चूका है मेरा

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  इन किताबों से जी भर चूका है मेरा अब कोई चेहरा मिले तो पढ़कर देखूं तुम्हारे शहर की आब-ओ-हवा बहुत अच्छी है तुम कहो तो कुछ दिन ठहर कर देखूं लफ...

हर्फ़-ए-दु'आ ही निकलती थी

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हर्फ़-ए-दु'आ ही निकलती थी माँ ग़र ख़फ़ा भी होती थी और कभी मार देती यूँ ही मुझे तो माँ भी मेरे संग रोती थी

एक बे-हुनर इंसान को भी इतनी शोहरत दी है

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एक बे-हुनर इंसान को भी इतनी शोहरत दी है तुम्हारे शहर ने हद से ज्यादा मुझे मोहब्बत दी है

किसी के इश्क़ ने मुझको बचाये रखा है

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किसी के इश्क़ ने मुझको बचाये रखा है मगर ज़माने भर से रिश्ता छुड़ाए रखा है तमाम 'ऐब भी उसके हुनर से दीखते है सबने आँखों पे कोई चश्मा लगाए रख...

हिंदी तो मेरी माँ है

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हिंदी तो मेरी माँ है पर उर्दू मोहब्बत है मेरी अंग्रेजी,तुझसे भी क्या गिला बन गई तू भी जरुरत है मेरी

तमाम रिश्तों से मिली इस

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तमाम रिश्तों से मिली इस दिल को रुसवाई चली आती है शाम होते ही मकां ए दिल में ग़म-ए-तन्हाई चली आती है दर ब दर सारा दिन गुजार कर फिर चंद उम्मीदो...

हर प्यासे की प्यास

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हर प्यासे की प्यास बराबर समझती है किसी दरिया को कोई मज़हब नहीं होता खेत खलिहानों में ये फर्क नहीं करते है किसी बादल का कोई मज़हब नहीं होता

गिराकर फिर उठाना चाहता है

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गिराकर फिर उठाना चाहता है आख़िर वो क्या जताना चाहता है बाद फिर अपना मुझे बनाएगा पहले क्यू फिर मिटाना चाहता है

जो उनके दिल को सुकूं दे सके एक पल के लिए

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  जो उनके दिल को सुकूं दे सके एक पल के लिए मैंने वैसा ही क़िरदार कर लिया ख़ुद को सज़ा देने में हासिल थी उन्हें ज़माने भर की ख़ुशी  उनके नज़रों में...

तुझ बिन जीवन का सुना है मधुबन मेरे मुरलीवाले

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 मेरे मुरलीवाले तुझ बिन जीवन का सुना है मधुबन मेरे मुरलीवाले छोड़ दिया इस जग ने मुझको अब हम तेरे हवाले भब सागर की ऊंची लहरे जीवन का नैया डोले...

खो गया जो ख़ुद ब ख़ुद किसी शय को पाने के लिए

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  खो गया जो ख़ुद ब ख़ुद किसी शय को पाने के लिए लोग उस बन्दे को अब पागल समझते है यहाँ समन्दरों से उठता है जो आफ़ताब के दहकने से कुदरत के इस करिश...

प्यास को मैंने ही जिन्दा रखा

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प्यास को मैंने ही जिन्दा रखा और इसे मरने न दिया वगरना मिठास दरिया के पानी में हद से ज्यादा था

दिल किसी का हो रहा है

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दिल किसी का हो रहा है रफ़्ता - रफ़्ता जाने क्यू मिट रहा हर फ़ासला है रफ़्ता - रफ़्ता जाने क्यू

मेरी प्यारी माँ

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ममता की मूरत तेरी सूरत है दुलारी माँ मेरी प्यारी माँ आँचल में तेरे खुशियाँ मेरे कितनी सारी माँ, मेरी प्यारी माँ मुझको कहे तू  आँखों का तारा...

ग़म मोहब्बत में मिले जो सब अमानत है मेरी

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ग़म मोहब्बत में मिले जो सब अमानत है मेरी जज़ीरा ए दिल पे गोया बिखरे है कई ख़जाने अब लहरें उठती है जब भी दिल के समंदर में कहीं आ ही जाते है बश...

बेताब तमन्नाओ का पीछा क्यू करे हम

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  बेताब तमन्नाओ का पीछा क्यू करे हम तुमसे मिलने का कोई वादा क्यू करे हम गुनाह-ए-इश्क़ ही तो किया है फ़क़त मैंने अब हर किसी से जिक्र - चर्चा...

रेत के घरोंदों की तरह

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  रेत के घरोंदों की तरह खुद को तोड़ता और बनाता रहता हूँ खुद से ही रूठ गया है दिल अब लोगो को मना- मनाकर तन्हाई में कहीं बैठकर अब इस दिल को मना...

माना की तुझमें कोई 'ऐब नहीं

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  माना की तुझमें कोई 'ऐब नहीं पर ये भी क्या कम है कि हद से ज्यादा दिल-फ़रेब हो तुम

आसमां पे चमकने के लिए

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  आसमां पे चमकने के लिए आफ़ताब को भी रोज जाने कितनी सीढियाँ चढ़ना उतरना पड़ता है बशर' ये बाग़ ए बहिश्त नहीं दश्त-ओ-सहरा है कोई यहाँ खुद को र...

एक अरसे से दो मुल्कों में

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एक अरसे से दो मुल्कों में लम्बी तक़रार चल रहीं है हथियार बेचने वालों की अच्छी कारोबार चल रहीं है

इस जहाँ में ख़ुदा का अब कोई पैग़म्बर नहीं आने वाला

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इस जहाँ में ख़ुदा का अब कोई पैग़म्बर नहीं आने वाला कोई बुद्ध कोई नानक अब कोई कलंदर नहीं आने वाला जहाँ वालो अम्न से रहो कि लड़कर फ़ना हो जाओ तु...

आवाम जो थकन के मारे थे

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'अवाम जो थकन के मारे थे बदन के अज़ाबों में सो गए कुछ मंच से आते मीठे- मीठे से नए वादों के ख़्वाबों में खो गए

तेरा दर ख़ुदा का दर लगा

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  तेरा दर ख़ुदा का दर लगा सर हमने भी झुका दिया रहबर दिखा तुझमे कोई रस्ता मै खुद को बना लिया

बुलंदियों पे झुकने का नाम है जिंदगी

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बुलंदियों पे झुकने का नाम है जिंदगी मंज़िल से पहले न रुकने का नाम है जिंदगी गिरना भी ग़र लिखा है किसी मोड़ पर बशर' तो हँसते हुए फिर से उठ...

मैंने तो मोहब्बत में क़ैद-ए-कफ़स चाही थी

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मैंने तो मोहब्बत में क़ैद-ए-कफ़स चाही थी बेसबब तुम मुझे अब रिहाई क्यू देते हो ताउम्र तेरा दर्द ग़र लिखू भी तो कभी कम न हो मेरी क़लम को सुर्ख़ इत...

तारीफ़ कैसे करूँ उन हाथों का

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  तारीफ़ कैसे करूँ उन हाथों का जिसने इतनी प्यारी मूरत बनाई कितने दर्द सहें पत्थर ने तेशा का फिर जाकर ख़ुदा की सूरत पाई 

नफ़रतों के जद' में है ये सारा जहां

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  नफ़रतों के जद' में है ये सारा जहां इसे अम्न-ओ-मोहब्बत ही बचा सकती है लहरों से नहीं इन कश्तियों को सिर-फ़िरे, ना-ख़ुदाओ से ख़तरा है मासूम...

रिश्ता कोई भी कैसा भी हो

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रिश्ता कोई भी कैसा भी हो मुझे निभाना नहीं आता कि कोई ग़र रूठ जाये मुझसे तो उसे मनाना नहीं आता ख़ुदा ने दिल तो दिए है बेशक़ धड़कता भी है मेरे स...

सोच लो समझ लो कोई एक इरादा कर लो

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सोच लो समझ लो कोई एक इरादा कर लो अब आ गए हो महफ़िल में तो न जाने का वादा कर लो जज़्बात दिल के दिल तक यक़ीनन पहुंच ही जायेंगे   गोया अक़्ल को जान...

हम रिंदों को समझ आती नहीं

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  हम रिंदों को  समझ आती नहीं किसी वा'इज़ की बातें हमने तो मोहब्बत को ही ख़ुदा जाना है

बशर' चाँद को जमीं पर तलाश न कर तू

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बशर' चाँद को जमीं पर तलाश न कर तू रात- दिन वो फ़क़त सितारों के साथ रहता है मैंने ख्वाबों में कई बार उसे देखा है गुलों सा दीखता है, बहारों ...

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  इल्म-ए-अरूज़ फ़क़त नाकाफ़ी है फ़न ए शायरी के लिए उससे कह दो कि ग़र आना हो दश्त-ओ-सहरा में तो अपने दिल में वहशत भी भर ले

वो मुझसे दूर जाना चाहती है

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  फ़ना जो हो गया उसपर  महज़ सादा- दिली पे उसकी पाक़ीज़ा इश्क़ की ताकत को  अब वो आज़माना चाहती है   वो मुझसे दूर जाना चाहती है मुझे यादें देकर तमाम...

बशर' जिंदगी में तो कम-ओ-बेश

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बशर' जिंदगी में तो कम-ओ-बेश तू क़ामयाब हो गया पर पहला इश्क़ वो तेरा स्कूलोंवाला ना-क़ामयाब हो गया

तितलियों से अपनी यारी थी

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  तितलियों से अपनी यारी थी जुगनुओं से बातें करते थे चरागों और किताबों से हम रौशन राते करते थे

मुसलसल नफ़रतों के जद में जा रहा ये सारा जहां

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मुसलसल नफ़रतों के जद में जा रहा ये सारा जहां  कोशिशें अम्न और मोहब्बत  की सारी नाकाम रही  गुज़श्ता सालो की तरह  इस साल की तारीख़े अबतक  फ़क़त मसअ...

मुझे तलाश है ख़ुद का

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  मुझे तलाश है ख़ुद का तू मेरी तलाश न रख एक सहरा हूँ ग़मज़दा तू मेरी प्यास न रख पल दो पल के सफ़र में यूँ मुझपे बिश्वास न रख बिछड़ गया जो मैं तुझ...

हिंदी जितनी हमारी है उतनी तुम्हारी भी है

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  उर्दू जितनी तुम्हारी है उतनी हमारी भी है हिंदी जितनी हमारी है उतनी तुम्हारी भी है इन जुबानों को क्यू न  हम आज़ाद रहने दे उन मज़हबी दीवारों स...

सुने इस दिल को गुलशन बनाने वाले

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सूने  इस दिल को गुलशन बनाने वाले इन आँखों को हसीं ख़्वाब दिखाने वाले सफ़र में फिर नहीं मिलने-मिलाने वाले बशर' कहाँ गए वो छोड़कर जाने वाले

चाँद ग़र बाम पर न आये

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चाँद ग़र बाम पर न आये तो दिल बेक़रार हो जाये सितारों ढूंढ के लाओ उसका दीदार हो जाये इशारों ही इशारों में कोई इज़हार हो जाये मेरी भी ईद मन जाये ...

रु-ब-रु उसने ही कराया था ख़ुदा से

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रु-ब-रु उसने ही कराया था ख़ुदा से ग़र माँ न होती तो इल्म ए ख़ुदा भी न होता

होश कहाँ रहता है

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होश कहाँ रहता है कोई फर्क फिर समझने का पेट की आग से जब रूह दहक सी जाती है खुशबू गुलाबों की अमीरों को मुबारक़ हो जनाब अरे, मुफ़लिस को तो रोटी ...

मेरे मालिक,तेरा शान-ए-करम ही तो है

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  मेरे मालिक,तेरा शान-ए-करम ही तो है लहरों पे चल रहा हूँ ये तेरा रहम ही तो है हो रहा हूँ जो भी कुछ, है इनायत बस तेरी मैं ही कर रहा हूँ सब, य...

अपनों से मिले ग़म

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अपनों से मिले ग़म ग़ैरों से क्या गिला दिल से लगा लिए जिससे भी जो मिला

बोल नफ़रतों के हर वक़्त

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  बोल नफ़रतों के हर वक़्त गुलशन को सुनाते क्यू हो मश्क़-ए-सियासत के लिए भाई को भाई से लड़ाते क्यू हो ख़ुदा ने बनाया है जिन चराग़ों को रौशनी के लि...

दिल के क़लम से तेरा अक्स

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   दिल के क़लम से तेरा अक्स अशआरों में उतारा करते है मेरे हमदम बड़े करीब से हम तुझे निहारा करते है अज़ीज़ होके भी तुझमे  तनिक दुश्वारियां तो है ...

वक़्त के पन्ने पर जंग का

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वक़्त के पन्ने पर जंग का क्यू इतिहास लिख रहे हो बशर' एक लम्हे में सदियों का क्यू बिनाश लिख रहे हो

यूँ तो तमाम जिंदगी

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  यूँ तो तमाम जिंदगी ही कटी राह-ए-वफ़ा में अपनी पर तेरे हिज़्र में जो गुजरी वो क़ामयाब हुई

लुटाया अब तलक जो उसपे

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  लुटाया अब तलक जो उसपे मेरी वो दीवानगी वापस कर दे जैसे किसी बेज़ान पैकर में कोई सांसों की रवानगी वापस कर दे सुकून ए दिल के खातिर कोई अब कह द...

कर रहा है दिल को कोई

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  कर रहा है दिल को कोई पायमाल रफ़्ता - रफ़्ता हो रही है ग़ज़ल - गोई बेमिसाल रफ्ता- रफ्ता

बशर' जमीं से बेशक़ रिश्ता रखना

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  बशर' जमीं से बेशक़ रिश्ता रखना हमेशा मगर आसमानों से फ़ासला रखना ग़र आसमानों से उलझ जाओ कहीं फिर ख़ुदा पे यकीं और खुद पे हौसला रखना

मिलेगी धुप भी सफ़र में

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मिलेगी धुप भी सफ़र में  शज़र एक साथ रख चलो  साज़-ओ-सामान के साथ  थोड़ी  बरसात रख चलो  गुजारने के लिए कुछ  दिन- रात रख चलो  अपनों के साथ गुजरे  ...

कोई ताबीज़ कोई नुस्ख़ा

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कोई ताबीज़ कोई नुस्ख़ा अब काम नहीं आता है तुम्हारे बग़ैर इस दिल को अब आराम नहीं आता है याद कर लिया है तुझे इस दिल ने आयत की तरह तेरे यादों के...

न तवज्जोह की ख़्वाहिश

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न तवज्जोह की ख़्वाहिश न तग़ाफ़ुल का ग़म न यूँ बातों - बातों में में हो जाते बरहम हुजूम-ए-दहर में भी है कहीं तनहा से हम पानी के बुलबुले को अब कैस...

ये सच है कि सरजमीं के ज़र्रे- ज़र्रे में

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ये सच है कि सरजमीं के ज़र्रे- ज़र्रे में यहाँ सभी के पुरखों का लहू मिला है ग़वाह है इस बात के इतिहास के पन्ने कि आज़ादी सदियों के गुलामी के बाद...

अहल-ए-दिल से मेरी आवाज गुजर जाने दो

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  अहल-ए-दिल से मेरी आवाज गुजर जाने दो घुल के हवाओं में इसे दूर तर जाने दो चंद मोहलत है मिली ग़ुल को मुस्कुराने के लिए इसकी खुशबू फ़ज़ाओं में ब...

यहाँ कौन जानता है

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  यहाँ कौन जानता है जो ख़ुदा का तुझे पता दे बशर, ये सारे दर उसी के है तू किसी दर पे सर झुका दे

हमसे कभी वफ़ा जाती नहीं

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  हमसे कभी वफ़ा जाती नहीं उनसे कभी जफ़ा जाती नहीं एक मुद्दत से उनके दिल तक इस दिल की सदा जाती नहीं

तुझसे मिलने की चसक है दिल में

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  तुझसे मिलने की चसक है दिल में ये बात कहने की झिझक है दिल में तेरी मोहब्बत की महक़ है दिल में फिर भी जरा सी क़सक है दिल में

न गुलों में मिलता है

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न गुलों में मिलता है न बहारों में मिलता है न गुलबदन से चेहरों न महकारों में मिलता है मेरा महबूब तो मेरे तन्हाई का हम साया है ख्यालों में आत...

दिलों में सबके ख़ुशी हो

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  दिलों में सबके ख़ुशी हो कोई ग़म न मलाल हो रंगों के इस त्यौहार में सबके हाथों में गुलाल हो

सारे रंग मोहे फीको लगो है

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सारे रंग मोहे फीको लगो है  मोरे पिया तू ये रंग न लगाए     प्रेम के रंग में ही रंग दे मोहे  और तो कोई मोहे रंग न भाए

अपने दिल के जज़्बात

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  अपने दिल के जज़्बात उसे कह भी न सका था मै देखा जो उसको मैंने तो उन निगाहों में खो गया उसके दर से जब उठा तो मैकदों ने बुला ली रात घर को जब च...

रंग ए मोहब्बत से

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रंग ए मोहब्बत से तर ब तर हो गया दिल कू-ए-यार की होली में बेरंग पैरहन ए दिल पर गुलाबी रंग चढ़ गया रंग ए बहार की होली में

काश ये मुमकिन हो पाता मेरे लिए

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काश ये मुमकिन हो पाता मेरे लिए  काश ये मुमकिन हो पाता मेरे लिए  कि मै तेरी यादों को एक पल में भुला देता  वो सारे जज़्बात मोहब्बत के  जो मैंने...

सहर से शाम तलक

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सहर से शाम तलक सामान-ए-जिंदगी का काम चला शाम के बाद मगर तेरी यादों का दौर-ए-जाम चला

बे-ख़ता काँटों से मोहब्बत कर ली

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  बे-ख़ता काँटों से मोहब्बत कर ली  हमने सुर्ख गुलाबों से मुँह मोड़ लिया   अज़ाब ही अज़ाब थे शब् भर जिनमे  हमने उन ख्वाबों से रिश्ता तोड़ दिया 

गुलों के संग रहती है वो

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  गुलों के संग रहती है वो बहारों से उसका रिश्ता है फ़ज़ाओं में हम उसकी खुशबू से उसे पहचानते है ख्वाबों- ख्यालों में ही वस्ल  हो पाती है मगर उस...

मेरा होकर भी ये कम्बख़्त

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मेरा होकर भी ये कम्बख़्त अब मेरा नहीं लगता सच कहुँ तो ये दिल तेरे बिना अब कहीं नहीं लगता

बेशक़ तिश्नगी का कोई सैलाब

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  बेशक़ तिश्नगी का कोई सैलाब उसके आँखों में उतर आया होगा बारहा वो कह रहा था कि सहरा में दरिया छुपा है कोई 

यूँ तो जाम-ए शराब को

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यूँ तो जाम-ए शराब को मै हाथ भी न लगाऊं साक़ी, ग़र तुम निगाहों से पिलाओ तो कोई ऐतराज भी नहीं

तंज कसते है ग़ुल मुझपर तेरी यादे दिलाकर

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  तंज कसते है ग़ुल मुझपर अब तेरी यादे दिलाकर बहारें लौट गई कबके  गुलशन-ए-दिल वीराना हुआ तिश्नगी दिल की जो तेरी एक नज़र से भी मिट जाती थी कभी न...

हर वख़त अपनी ही आरज़ू जुस्तजू ये मुझसे चाहती है

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  हर वख़त अपनी ही आरज़ू जुस्तजू ये मुझसे चाहती है रहता हूँ जा-ब-जा मैं कहीं दिल ओ दिमाग मेरा जू-ब-जू ये मुझसे चाहती है हर्फ़-दर-हर्फ़ कोई  नज़्...

शायद सारे जहां को ही ज़न्नत बनाने का कोई ख़्याल

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  शायद सारे जहां को ही ज़न्नत बनाने का कोई ख़्याल ख़ुदा को आया होगा अमन और मोहब्बत ये दो शय फिर उसने इस जहां के लिए बनाया होगा

न कोई सजा ही मुक़र्रर करता है

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न कोई सजा ही मुक़र्रर करता है और न ही मुझे वो मु'आफ़ करता है एक अर्से से कटघरे में खड़ा कर रखा है मेरा मुंसिफ़ सबसे हटकर इन्साफ करता है

मेरी ताकत को ये ज़माना

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  मेरी ताकत को ये ज़माना मुसलसल ही आजमाता रहता है नादाँ किसी ख़ाक को फ़क़त ख़ाक में ही मिलाता रहता है

ख्वाबों में भी ग़र लड़ें तुझसे

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ख्वाबों में भी ग़र लड़ें तुझसे तो तुम बेशक़ मुझसे शिकायत कर देना विसाल-ए-ख़ुदा के वास्ते तेरे ही दिल के रास्ते तुम मुझपे नज़र- ए- इनायत कर देना

घर तो अब लगता है मुझे

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घर तो अब लगता है मुझे कुछ ईट - पत्थरों से बना  चार कमरों का  वो सदियों पुराना मकां जिसमें सारा परिवार  मिल जुलकर  अब भी रहता है मगर जब तलक म...

पोशीदा मेरे हर लब्ज़ में शामिल है वो

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चाहे जब जिस घडी  मुझमें वो आ जाती है  और लिख जाती है  अपने दिल की बात  पोशीदा मेरे हर लब्ज़ में शामिल है वो फ़क़त उसकी बेताबियाँ ही अशआर बनकर म...

जुबां ने तो जो भी कहा

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जुबां ने तो जो भी कहा वो लब्ज़ सारा बातिल था गवाही तो नज़रों ने दी कि शख्स वो ही क़ातिल था

बशर इश्क़ को इश्क़ ही रहने दे, इसे गदागरी न बना

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  चश्म-ए-कासा-ए-गदाई दस्त-ए-दिल में लिए क्यू उसके दर पर रुका है अफ़सुर्दा अबतलक तू बशर  इश्क़ को इश्क़ ही रहने दे, गदागरी न बना

ग़ज़ल-गोई मैंने कहीं सीखी नहीं

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ग़ज़ल-गोई मैंने कहीं सीखी नहीं मेरी क़लम तो ग़ज़ल की दीवानी है दिल-ओ-जां का रिश्ता निभाएंगे हम रगों में जब तलक लहू की रवानी है

क़िताब-ए-दिल का पस - मंज़र क्या लिखूं

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  क़िताब-ए-दिल का पस - मंज़र क्या लिखूँ यादों का हर मंज़र तेरे हवाले रखा है जंजीर-ए-वफ़ा इस पर जो तुमने कभी डाली थी बड़ी सिद्दत से अब तक दिल ने स...

अज़नबी लोग ही मुझे फ़क़त अज़नबी न समझे

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अज़नबी लोग ही मुझे फ़क़त अज़नबी न समझे खुद से भी कम-ओ-बेश अज़नबी सा रहता हूँ मैं शय रखता हूँ कहीं और ढूंढता रहता हूँ कहीं और बे-ख़ुदी के बारिशों ...

माँ तेरे दामन में फिर से

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माँ तेरे दामन में फिर से मैं छुप के रोना चाहता हूँ फिर तेरे थपकियों तले सुकूँ की नींद सोना चाहता हूँ

यूँ आधी रात को दर-ए-दिल पर

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  यूँ आधी रात को दर-ए-दिल पर ये किसकी आहट है क्या ये तुम हो या फिर पीपल के ज़र्द पत्तों की सरसराहट है

बज़्म-ए-जन्नत-ए-कश्मीर

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देर तक चलता रहा कल ख्वाबों में बर्फ की चादर थी फैली राहों में वादियों में खो गया दिल इस क़दर जन्नत ए कश्मीर थी निगाहों में
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