यार आख़िरकार दिल है मेरा
सिटीबस की सीट थोड़े ही न हैजब जो चाहे आकर बैठ जाये
सफ़र पूरा होते ही धीरे से उठे
फिर नज़रे फेरे और ऐंठ जाये
ये दिल तो बस तुम्हारा
एक आरक्षित सीट है
इसपर किसी और को
थोड़े ही न परमिट है
तुम बैठो तो समझो
सीट की किस्मत चमकी
दूसरी सवारी तो एक पल में
इससे निकली जाएगी
दिल के मेरे इस सीट पर
तुम बैठो या फिर खड़े रहों
इस सफ़र में तुम्हारे बिना
ये सीट ख़ाली जाएगी
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