फिर उसके यादों की खुशबू से महक़ उठा है ये दिल

 


फिर उसके यादों की खुशबू से 
महक़ उठा है ये दिल
अपनी शोख़ अदाओं से जिसने 
अबतक चुरा रखा है ये दिल

बाद-ए-सबा होता तो छूकर
उसे मदहोश भी कर देता
उसके आँगन का शज़र होता तो
झूला बन उसे आग़ोश भी कर लेता

कोई अब्र ही ग़र होता तो
उसके तन- मन को भिंगो देता
कोई गुलिश्तां भी ग़र होता तो
उसे जी भर के सजा देता

तमाम इन्ही जज्बातों और ख्यालातों से
अपना हर कोना सजा रखा है ये दिल

फिर उसके यादों की खुशबू से 
महक़ उठा है ये दिल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.