महज़ चंद लब्ज़ो में
कैसे बयां कर दे
कि क्या है मोहब्बत
गुलों की खुशबू है
दिलों कि आरजू है
बाद-ए-सबा है मोहब्बत
आस है विश्वास है
एहसास है उल्लास है
दिल-फ़ज़ा है मोहब्बत
ग़ज़ल है गीत है
संगीत है मन-मीत है
नज़्म-ए-ज़िंदगी की
क़ाफ़िया है मोहब्बत
शोला है शबनम है
सरगम है संगम है
दर्द-ए-दिल की
दवा है मोहब्बत
चाहत है तिश्नगी है
इबादत है दिल-लगी है
सहरां -ए -जिंदगी में
दरिया है मोहब्बत
झुके तो ज़ियारत है
उठे तो बगावत है
नज़र की हया है मोहब्बत
लब्ज़ों में बयां होती है
अश्कों में फ़ना होती है
बेजुबां है मोहब्बत
अलग रंग है कोई तरंग है
कोई भंग है नई उमंग है
कभी दुआ ,कभी बला है मोहब्बत
जागीर है तकदीर है
किसी रांझे की हीर है
ग़र वस्ल हो तो जिंदगी है
ग़र जुदा हो तो सज़ा है मोहब्बत
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बाद-ए-सबा - सुबह की हवा
दिल-फ़ज़ा : दिल को अच्छा लगने वाला
ज़ियारत -किसी पवित्र व्यक्ति या स्थान का दर्शन
तिश्नगी -प्यास ,
वस्ल - मिलन
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