तेरे हर दर पर अपना सर झुकाये जाता हूँ

 

गुनाह पे गुनाह किये जाता हूँ
अपनी बेगुनाही का हिसाब दिए जाता हूँ

तू हर बात मेरी अंदर से देखता है  ख़ुदा
मैं हर बात तुझसे बाहर से छुपाये जाता हूँ 

तू हवाओं से मुसलसल मुझे बचाता है 
एक चराग़ हूँ तेरी कुदरत को आजमाए जाता हूँ 

तू आसिम है, मुझे गिरने से तू बचा लेगा 
तेरे ऐतबार पे ही हर कदम बढ़ाये जाता हूँ 

तूने मुझे मेरे औकात से कहीं ज्यादा दी है 
तेरी ये रहमत मैं लोगो को सुनाये जाता हूँ 

ये सारे रास्ते तेरे ही दर तक जाते है 
तेरे हर दर पर अपना सर झुकाये जाता हूँ 


आसिम - बचाने वाला, निगाह रखने वाला
कुदरत - ईश्वरीय शक्ति


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