ए दिल-ए-बे-क़रार यूँ अभी से शिकस्ता-दिल न हो

 


तेरे हिस्से में जाने 
कई और अफ़साने अभी बाकी है 
तेरे किस्से में आने 
 कई और बेगाने अभी बाकी है 

ए  दिल-ए-बे-क़रार यूँ 
अभी से  शिकस्ता-दिल न हो 
तुझे तक़दीर में लिखे धोख़े 
 कई और खाने अभी बाकी है 


बेगाने  : अजनबी
दिल-ए-बे-क़रार : प्रेम व्यथा में तड़पता हुआ हृदय, 
शिकस्ता-दिल - हताश, 

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