रफ़ाक़तों में एक उम्र गुजर जाती है मगर




रफ़ाक़तों में  एक उम्र गुजर जाती है मगर 
आदमी  फ़क़त साथ दीखता है ,साथ कहाँ रहता है

फ़ना होकर भी खुशबु -ओ -रंगत दे जाती है
दुल्हन के हाथों में तो हिना का अहल-ए-वफ़ा रहता है

रगों में जिनके लहू की तरह इश्क़ बहता रहता है
बेसबब उनमे मर्ज़-ए-दिल का एक रिस्क बना रहता है

कमाल की चारागरी करता है मेरा चारागर भी
दर्द में आराम भी रहता है और ज़ख्म भी हरा रहता है

आता है हर इंसां दुनिया में बंद मुठ्ठी के साथ ही
देखा है जाते वक्त हर हाथ खुला रहता है

नेकी के राहों पर मंज़र इम्तहां के मिलते है जरूर
मंज़िल बेशक मिलती है, हर वक़्त साथ ख़ुदा रहता है




रफ़ाक़त - मेल-जोल ,संगत
बेसबब  - बिना कारण के 
अहल-ए-वफ़ा 
चारागरी  - इलाज 
चारागर - चिकित्सक  

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