हम-वतन दिल में जला ले
चराग़-ए-वतन-परस्ती अगर
फिर दुश्मनो की क्या औकात है
कि शान-ए-वतन को झुका सके
शहीदों ने जां कुर्बान कर दी
हम अहल-ए-वतन के वास्ते
एहतिराम-ए-शहादत में उनकी
एक चराग़ ग़र हम जला सके
हम-वतन :अहल-ए-वतन : देशवासी
एहतिराम-ए-शहादत :शहादत के सम्मान में
.jpg)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.