क़लम वाले हाथों में न तलवार दीजिये
ग़र दे सके ज़नाब "वतन से प्यार" दीजिये
दिल में नफरतों के न दीवार दीजिये
ग़र दे सके ज़नाब वतन से प्यार दीजिये
ईंट- पत्थर और न हथिंयार दीजिये
कोई जानलेवा मज़हबी न बुख़ार दीजिये
यूँ ही वतन के कश्ती के हज़ारो है दुश्मन
इस कश्ती को बचाने का पतवार दीजिये
क़लम वाले हाथों में न तलवार दीजिये
ग़र दे सके ज़नाब वतन से प्यार दीजिये
ये नई फसलें है इन्हे न बेकार कीजिये
इनमें ज़हर के बीज न खर - पतवार कीजिये
वतन का हो रहा नुकसान जरा विचार कीजिये
वतन के है जो पहरेदार उन्हें न गद्दार कीजिये
दिल में नफरतों के न दीवार दीजिये
ग़र दे सके ज़नाब वतन से प्यार दीजिये
आज़ादी के इस बेला को न खराब कीजिये
वतन के ज़र्रे- ज़र्रे को न आतिश - ताब कीजिये
दुश्मनों के मंसूबो को न कामयाब कीजिये
माँ भारती के हर दर्द का हिसाब कीजिये
गुलशन के इन गुलों को न ख़ार दीजिये
ग़र दे सके जनाब वतन से प्यार दीजिये
क़लम वाले हाथों में न तलवार दीजिये
ग़र दे सके ज़नाब वतन से प्यार दीजिये
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