अज़नबी लोग ही मुझे फ़क़त अज़नबी न समझे


अज़नबी लोग ही मुझे
फ़क़त अज़नबी न समझे

खुद से भी कम-ओ-बेश
अज़नबी सा रहता हूँ मैं

शय रखता हूँ कहीं और
ढूंढता रहता हूँ कहीं और

बे-ख़ुदी के बारिशों में कुछ
शबनमी सा रहता हूँ मैं

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