होश कहाँ रहता है


होश कहाँ रहता है
कोई फर्क फिर समझने का
पेट की आग से जब
रूह दहक सी जाती है

खुशबू गुलाबों की अमीरों
को मुबारक़ हो जनाब
अरे, मुफ़लिस को तो
रोटी की महक ही भाती है

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