दिल को राहत मिले ग़र



दिल को राहत मिले ग़र
चाक दिल ओ जां हो जाये
मेरी क़लम को 'अता फ़क़त
उसकी दर्द ए वफ़ा हो जाये

लाज़िम है इज़्तिराब ए दिल
मेरे शे'र-ओ-सुख़न के लिए
मुझको डर है कहीं मेरी
ये वहशत न फ़ना हो जाये

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