रो रहा है दिल मेरा
फ़क़त सोच कर इस बात को
क्या क्या गुजरी होगी
एक बहन पर उस रात को
कैसी रक्षा कैसा बंधन
जब वतन का दिल जल रहा
उस बहन के क़ातिलों को
मिटा देने को दिल मचल रहा
घूमते हो भेड़ियाँ
जहाँ आदमी के भेष में
कैसे बंधे रक्षा सूत्र
कोई बहन अपने देश में
अफ़सोस जिस वतन की
सरहदे इतनी महफूज़ है
आज उसकी बेटियां
यहाँ क्यू नहीं महफूज़ है
है कसम मेरी हर बहन को
न किसी भाई का इंतज़ार कर
खुद को तू रणचंडी बना
और दरिंदगी का संहार कर
क्या क्या गुजरी होगी
एक बहन पर उस रात को
कैसी रक्षा कैसा बंधन
जब वतन का दिल जल रहा
उस बहन के क़ातिलों को
मिटा देने को दिल मचल रहा
घूमते हो भेड़ियाँ
जहाँ आदमी के भेष में
कैसे बंधे रक्षा सूत्र
कोई बहन अपने देश में
अफ़सोस जिस वतन की
सरहदे इतनी महफूज़ है
आज उसकी बेटियां
यहाँ क्यू नहीं महफूज़ है
है कसम मेरी हर बहन को
न किसी भाई का इंतज़ार कर
खुद को तू रणचंडी बना
और दरिंदगी का संहार कर
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