सरहद को तेरे छू न सके



सरहद को तेरे छू न सके
कोई नफ़रत भरी निगाहों से
बेटियां तेरी महफूज़ रहें
हर जुर्म की बलाओं से

जाये न बहारे कभी
तेरी महकी फ़ज़ाओं से
अम्न की खुशबु बहे
हरपल तेरी हवाओं से

ए मेरे प्यारे वतन
हम ग़ुल तेरे तू हमारा चमन
क़सम ले हम तिरंगे की
मिलकर रहेंगे अहल ए वतन

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