ग़ुम रहता हूँ इस क़दर


ग़ुम रहता हूँ इस क़दर
तेरी यादों में जान ए जां
डरता हूँ सर ए महफ़िल
लबों पर तेरा नाम न आ जाये

मिला कर ख्वाबों ख्यालों में
यूँ ही आ कर तू मेहर बां
तेरे दामन पर मेरे ख़ातिर
कहीं कोई इल्जाम न आ जाये

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