डालकर आदत वो क़ैद ए क़फ़स की वो अपनी

 

डालकर  आदत वो 
क़ैद ए  क़फ़स  की वो अपनी 
आज अचानक कहने लगा 
की जाओ तुझे आज़ाद किया 

कौन बोले उससे बशर
 कि कर के रिहा वो इस क़दर  
इस दिल ए  बर्बाद को 
आज और कुछ बर्बाद किया  

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