क़िताब -ए -जिंदगी के हर पन्ने पर

 


कहीं वस्ल है तो कहीं  हिज़्र है
कहीं रंज है तो कहीं  फ़िक्र है

क़िताब -ए -जिंदगी के हर पन्ने पर
न जाने किस किसका ज़िक्र है


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.