माना तू एक ख़ूबसूरत सा अफ़्साना है

 


माना तू एक ख़ूबसूरत  सा अफ़्साना है
ए मोहब्बत ,मुझे तो दर्द-ए-'इश्क़ को आज़माना है

तमाम शायरों से यही सुनता रहा  हूँ अबतक
ख़ुदा से रू-ब-रू होने का तू ही एक बहाना है 

 

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