रहने लगे है लोग अब बिमार शहर में
बनने लगी है जबसे ये दीवार शहर में
बिकने लगी है फिर से अब तलवार शहर में
बर-पा है कहीं हंगामा कहीं अल्ग़ार शहर में
मनाते नहीं मिलजुल के अब त्यौहार शहर में
इंसानियत हो रही है हर रोज शर्मशार शहर में
सियासतों का अच्छा चल रहा बाज़ार शहर में
हर शख्स बन रहा है जिसका ख़रीदार शहर में
ग़र चलता रहा नफ़रतों का ये कारोबार शहर में
जिंदगी हो जाएगी एक दिन फिर बेज़ार शहर में
अल्ग़ार : आक्रमण, तीव्र गति से रास्ता पार करके त्वरित
किसी भीड़ का पहुंचना,
बेज़ार - अप्रसन्न, उकताया हुआ, ऊबा हुआ, निराश,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.