राह- ए- इश्क़ में दिल-ओ-दिमाग़ तो



कमबख़्त कहाँ एक दूजे की सुनते है
दोनों फ़क़त गिरते और संभलते है

राह- ए- इश्क़ में दिल-ओ-दिमाग़ तो 
हर वक़्त मुख़्तलिफ़ से चलते है


मुख़्तलिफ़  - परस्पर-विरोधी





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