तेरा एहसास जिन्दा है मुझमे




तुझसे मिला नहीं हूँ 
जब तलक
तेरा एहसास जिन्दा है मुझमे   
तब-तलक

 तुझसे मिलते ही मेरी  बज़्म
तो पूरी हो जाएगी

पर लिख रहा हूँ दिन - रात 
इतनी सिद्दत से जो तेरे लिए

तुझसे मिलते ही तेरी  नज़्म
कुछ अधूरी हो जाएगी






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