ये सच है कि सरजमीं के ज़र्रे- ज़र्रे में


ये सच है कि सरजमीं के ज़र्रे- ज़र्रे में
यहाँ सभी के पुरखों का लहू मिला है

ग़वाह है इस बात के इतिहास के पन्ने
कि आज़ादी सदियों के गुलामी के बाद मिला है

यकीं माने की ख़ुशनसीब है हम सब
कि ख़ूबसूरत सा ये मुल्क हमे आज़ाद मिला है

फिर क्यू हवाएँ नफरतों के यहाँ बहाते है लोग
ख़बर फिर छपी है कि किसी का घर जला है 

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