उर्दू जितनी तुम्हारी है
उतनी हमारी भी है
हिंदी जितनी हमारी है
उतनी तुम्हारी भी है
इन जुबानों को क्यू न
हम आज़ाद रहने दे उन
मज़हबी दीवारों से
क्यू न इन्हे हम रहगुज़र बनाये
दिलों से दिलों को जोड़ने के लिए
और महसूस करे इन्हे दिल से
हम अपनी ही जुबां की तरह।
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