इन किताबों से जी भर चूका है मेरा

 

इन किताबों से जी भर चूका है मेरा
अब कोई चेहरा मिले तो पढ़कर देखूं

तुम्हारे शहर की आब-ओ-हवा बहुत अच्छी है
तुम कहो तो कुछ दिन ठहर कर देखूं

लफ़्ज़-ए-मोहब्बत लिखी है मेज़ पर रखी रिसाले पर
डर कर ही सही दिल कहता है कि पढ़कर देखूं

मौजे ही मौजे लिखे है इश्क़ के समंदर में
ख़्वाहिश-ए-दिल के लिए इसमें उतरकर देखूं

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