बंदा-पर्वर इश्क़ का

 

हो अभी नए मुसाफ़िर
तुम बशर' राह ए इश्क़ की
ये बात मुझको कह रही
रह रह के नाराज़गी तेरी


बंदा-पर्वर इश्क़ का
दिल होता है महबूब का
सर झुका सज़दा तू कर
दिखला फ़क़त दीवानगी तेरी

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