ब्रिटिश हुकूमत के क्रूरता का
चीख -चीखकर कहता हर कहानी है
जलियाँवाला बाग़ का मंज़र तो
अमर शहीदों की अमर निशानी है
जलियाँवाला बाग़ का मंज़र तो
अमर शहीदों की अमर निशानी है
निहत्थों पे घंटों गोलियां बरसाई
बेरहम को तनिक रहम न आई
फिर भी बहरी ब्रिटिश हुकूमत को
बेगुनाहो की चीख न दी सुनाई
लहू निकला था उन जल श्रोतो से
जिससे निकलता पानी है
जलियाँवाला बाग़ का मंज़र तो
अमर शहीदों की अमर निशानी है
खून से लिखा है ये इतिहास
इसे भारत कभी न भुलायेगा
अप्रैल 13 की तारीख हर बर्ष
अमर शहीदों की याद दिलाएगा
बीत गई 100 बर्ष की अवधि भी
ज़ालिम ने अबतक गलती नहीं मानी है
जलियाँवाला बाग़ का मंज़र तो
अमर शहीदों की अमर निशानी है
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