शज़र हम इंसानो को सदा जीवन की पाठ सिखाते है

 


हवाओं से बातें करते है
घटाओं को ये बुलाते है
आने की ख़ुशी में बहारों के
राहों में फूल बरसाते है

रहगुज़र के थके मुसाफ़िर को
पनाह में अपनी सुलाते है
ये फर्क किसी से करते नहीं
हर परिंदे को पास बिठाते है 

कुदरत के हर दुःख- सुख को
ये ख़ामोशी से सहते जाते है
शज़र हम इंसानो को सदा
जीवन की पाठ सिखाते है

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