एक क़फ़स में क़ैद किसी परिंदे की हर पल हिफाज़त है जिंदगी


एक क़फ़स में क़ैद किसी
परिंदे की हर पल
हिफाज़त है जिंदगी

मुसलसल चल रही साँसों की 
पैकर से सोहबत है जिंदगी

डूबती लहरों में भी समंदर के
किसी सफ़ीने के मिलने की
एक चाहत है जिंदगी

शिकस्ता-मकां में मिटटी के 
काबिज़ मकीं को मिली फ़क़त
चंद मोहलत है जिंदगी 

कहीं अमीरी में जन्नत 
तो कहीं मुफ़लिसी में 
कोई आफत है जिंदगी 

बनाया जिसने है ये सारा जहाँ
हर रूह को उस रब से मिल रही
एक रहमत है जिंदगी

न रख दिल में शदीद 
नफ़रत अब मौत से
भी इस क़दर

कि दर-असल मौत की ही 
हम सबके पास एक 
अमानत है जिंदगी 


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