गिरे थे कभी तुम
जिन ठोकरों से
उन्हें अपना रहबर
बनाकर तो देखो
दिखाएगी तुझको
जिंदगी की हक़ीक़त
काँटों से भी रिश्ता
निभाकर तो देखो
कराएंगी ख़ुद से
तुझे रु ब रु वो
ग़मों को भी दामन
लगाकर तो देखो
बुलंदी पर एक दिन
नज़र आओगे तुम
कदम हौसलों के तुम
बढ़ाकर तो देखो
नज़र आएगी राहें
बेशक अंधेरो में
चराग़ ए तमन्ना
जलाकर तो देखो
मोहब्बत तुझे
ख़ुद ब ख़ुद ढूंढ लेगी
सदा दिल के राहों में
लगाकर तो देखो
सुनती है बाते
दीवारे भी दिल की
कभी दर्द अपना
सुनाकर तो देखो
नहीं छोड़ेगे हाथ
तेरा सफर में
ख़ुदा से दिल अपना
लगाकर तो देखो
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