'अहद-ए-वफ़ा के नाम पर


'अहद-ए-वफ़ा के नाम पर
मुझे ले गया मजधार तक
फिर फेंक कर पतवार को
कहता बशर' मुझे प्यार कर

वा'दा-ख़िलाफ़ी की सज़ा
देनी है कहकर प्यार से
लहरों में डाल कर मुझे
कहता की जां निसार कर

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