है शहर में एक भोली सी लड़की
कुछ चंचल थोड़ी दीवानी सी
अंदाज़ अलग से है उसके
कुछ शोख़ थोड़ी मस्तानी सी
अज़ब पागल सी लड़की है
मुझे दीवाना पागल कहती है
मैं जब भी उससे मिलता हूँ
मुझे आवारा बादल कहती है
है शहर में एक भोली सी लड़की
मेरे अश'आरो को जब भी
वो मेरे जुबां से सुनती है
जाने किन ख़्वाबों - ख्यालो को
वो दिल ही दिल में बुनती है
अज़ब पागल सी लड़की है
मुझे शायर अव्वल कहती है
जिसे बिना काफ़िये के पढता हूँ
उससे शे'र अफ़जल कहती है
है शहर में एक भोली सी लड़की
उसके वस्ल में जाने क्यों
कुछ जल्द बीत छन जाते है
उससे बातों ही बातों में
कुछ शे'र यूँ ही बन जाते है
अज़ब पागल सी लड़की है
हर बात मुसलसल कहती है
मुझे आँखों का काजल कहती है
इस शहर को जंगल कहती है
है शहर में एक भोली सी लड़की
अफ़जल : सबसे उत्कृष्ट
अव्वल : प्रथम, पहला
वस्ल - मिलन
मुसलसल - निरंतर, लगातार
कुछ चंचल थोड़ी दीवानी सी
अंदाज़ अलग से है उसके
कुछ शोख़ थोड़ी मस्तानी सी
अज़ब पागल सी लड़की है
मुझे दीवाना पागल कहती है
मैं जब भी उससे मिलता हूँ
मुझे आवारा बादल कहती है
है शहर में एक भोली सी लड़की
मेरे अश'आरो को जब भी
वो मेरे जुबां से सुनती है
जाने किन ख़्वाबों - ख्यालो को
वो दिल ही दिल में बुनती है
अज़ब पागल सी लड़की है
मुझे शायर अव्वल कहती है
जिसे बिना काफ़िये के पढता हूँ
उससे शे'र अफ़जल कहती है
है शहर में एक भोली सी लड़की
उसके वस्ल में जाने क्यों
कुछ जल्द बीत छन जाते है
उससे बातों ही बातों में
कुछ शे'र यूँ ही बन जाते है
अज़ब पागल सी लड़की है
हर बात मुसलसल कहती है
मुझे आँखों का काजल कहती है
इस शहर को जंगल कहती है
है शहर में एक भोली सी लड़की
अफ़जल : सबसे उत्कृष्ट
अव्वल : प्रथम, पहला
वस्ल - मिलन
मुसलसल - निरंतर, लगातार
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