तू कोई ख़ुदा नहीं है , तू फ़क़त इंसान है

 

माना की हासिल तुम्हे ही
ईश्वर से बे-हिसाब ज्ञान है
हाथों में तेरे इस वक़त
बिज्ञान का भी वरदान है

जिसकी ताकत से भी
तूने छू लिया आसमान है
अपने हर इज़ाद पर तुझे
बेशक़ फक्र है अभिमान है

पर इतना भी माहिर नहीं है 
तू अभी नादान है 
कुदरत के कई रहस्यों से
तू वाकिफ नहीं अभी अनजान है

कहीं ज़लज़ला है कहीं बाढ़ है 
कहीं सैलाब है कहीं तूफ़ान है 
चंद घंटों की बारिशों से हीं
परेशां सारा जहान है 

क़ुदरत के ताकत को देख 
क्यू हो रहा हैरान है  
जिसने है दुनिया को बनाया 
वो ही इसका निगहबान है 

तू कोई ख़ुदा नहीं है 
तू फ़क़त इंसान है 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.