ग़म मोहब्बत में मिले जो सब अमानत है मेरी


ग़म मोहब्बत में मिले जो
सब अमानत है मेरी
जज़ीरा ए दिल पे गोया
बिखरे है कई ख़जाने अब

लहरें उठती है जब भी
दिल के समंदर में कहीं
आ ही जाते है बशर'
लब पे कई अफ़साने अब

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