शहर ए उम्मीद में बशर'



शहर ए उम्मीद में बशर'
जिंदगी की रफ़्तार बहुत है

एक दूजे से आगे निकलने में
यहाँ सब बेक़रार बहुत है

सुकून ए दिल का कोई मंज़र
दूर दूर तक नहीं दीखता यहाँ

मुसलसल ख़्वाहिशों के क़फ़स में
जिंदगियां यहां गिरफ्तार बहुत है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.