कश्तियाँ डूब गई जाने कितनी
गुनाह आया नहीं कभी
बेरहम लहरों के हिस्से - हिसाबो में
फ़साने कैद है न जाने कितने
मासूम मोहब्बतों की छपी
इन कहानियों- किताबों में
समंदर मौन होकर निर्बिरोध
क्यू बस देखता रहता है
अपने लहरों की मनमानी पर
क्यू कभी कुछ नहीं कहता है
वो कौन है जो समंदर में
रह रहकर बेरहम लहरें बनाता है
वो कौन है जो कश्तियों का
खुद बनता भाग्य बिधाता है
क्या समंदर में सिर्फ
लहरों की मर्ज़ी चलती है
क्या लहरों को कश्तियों की
छोटी सी ख़ुशी भी खलती है
क्या समंदर के कानून में
लहरों से रिश्ता करना जरुरी है
लहरों से टकराना और डूब जाना
ये कस्तियों की कैसी मज़बूरी है
समंदर शायद मानता है
लहरों से जो मिलकर चलेगा
समंदर में वो ही रहेगा
पर बेरहम लहरों के बिना
तो समंदर ही समंदर न रहेगा
ख़ुदा फिर किसी बेकसूर कश्ती की
बेरहम लहरों से कहीं हार न हो जाये
उसूलों और बंदिशों के दरमियाँ
नफरतों व जुल्म-ओ-सितम के हाथों
किसी का सच्चा प्यार न खो जाये
गुनाह आया नहीं कभी
बेरहम लहरों के हिस्से - हिसाबो में
फ़साने कैद है न जाने कितने
मासूम मोहब्बतों की छपी
इन कहानियों- किताबों में
समंदर मौन होकर निर्बिरोध
क्यू बस देखता रहता है
अपने लहरों की मनमानी पर
क्यू कभी कुछ नहीं कहता है
वो कौन है जो समंदर में
रह रहकर बेरहम लहरें बनाता है
वो कौन है जो कश्तियों का
खुद बनता भाग्य बिधाता है
क्या समंदर में सिर्फ
लहरों की मर्ज़ी चलती है
क्या लहरों को कश्तियों की
छोटी सी ख़ुशी भी खलती है
क्या समंदर के कानून में
लहरों से रिश्ता करना जरुरी है
लहरों से टकराना और डूब जाना
ये कस्तियों की कैसी मज़बूरी है
समंदर शायद मानता है
लहरों से जो मिलकर चलेगा
समंदर में वो ही रहेगा
पर बेरहम लहरों के बिना
तो समंदर ही समंदर न रहेगा
ख़ुदा फिर किसी बेकसूर कश्ती की
बेरहम लहरों से कहीं हार न हो जाये
उसूलों और बंदिशों के दरमियाँ
नफरतों व जुल्म-ओ-सितम के हाथों
किसी का सच्चा प्यार न खो जाये
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