तुम्हारे साथ गुजरती
जिंदगी के ये हसीन लम्हें
किसी तस्वीर की तरह
नज़रों के सामने से
धीरे धीरे खिसक सी रही है
मानो सूखी रेत मुट्ठी में मैंने
कसके बंद कर ली हो
बाबजूद इसके उंगलियों के
बीच से ये धीरे धीरे
सरक सी रही है
कसके बंद कर ली हो
बाबजूद इसके उंगलियों के
बीच से ये धीरे धीरे
सरक सी रही है
रोक लेता इसे मना भी लेता
वक़्त को हाले दिल दिखा भी देता
पर वक़्त कभी रुकता नहीं
ये एक जगह टिकता नहीं
तुम्हारे संग जीने की अब
एक आदत सी हो गई है
तुम्हारे हँसी तुम्हारे गुस्से की
अब एक जरूरत सी हो गई है
राहें जिंदगी के किसी मोड़ पे
ग़र तुझसे जुदा हो जाऊंगा
सच कहता हूँ इस जिंदगी से
शायद ख़फ़ा हो जाऊंगा
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