रुक - रुक कर के
रेलगाड़ी चलती जाए
आगे पटरी पीछे पटरी
दो पटरी पे बढ़ती जाये
कोई दौड़े कोई भागे
कोई सोये कोई जागे
कोई बैठा कोई खड़ा
कोई - कोई फर्श पे पड़ा
भेदभाव को ना ये जाने
सबको ये एक सा माने
अपनी-अपनी मंज़िल तक
सब लोगों को पहुँचाती जाये
रेलगाड़ी चलती जाए
दो पटरी पे बढ़ती जाये
लाल रंग देख रुक जाये
हरी रंग पे दौड़ लगाए
कू कू कू कू करके ये
कोयलिया की याद दिलाये
नदी पहाड़ झील और नाले
सबको ये पार कर डाले
हर स्टेशन पर थोड़ी देर
रुकती जाए ठहरती जाये
रेलगाड़ी चलती जाए
दो पटरी पे बढ़ती जाये
हर पल हरदम सबको ढोती
हम सो जाते ये ना सोती
कभी देर से जब ये आती
इंतज़ार की हद हो जाती
बिभिन्न नामों से जानी जाती
देश प्रदेश की सैर कराती
देश प्रदेश की सैर कराती
बिजली खाती डीजल पीती
जाने ये कैसे है जीती
वीराने सुने राहों पर
निर्भय निडर डगरती जाए
दो पटरी पर चलती जाए
रेलगाड़ी चलती जाए
दो पटरी पे बढ़ती जाये
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