कभी हमनें प्यार से चूमा था
तेरे माथे पे हमें याद है
वो जो प्यार से तुम लिपट गए
मेरे सीने से हमें याद है
वो जो प्यार से तुम लिपट गए
मेरे सीने से हमें याद है
मेरे घर के छोटे से आँगन में
हम भींग रहे थे सावन में
हाथों से पकड़ के खींच लिया
और बाँध लिया तुझे दामन में
मुझे याद है वो सावन की झड़ी
वो बारिश का बहाना याद है
वो जो पहली मिलन की रात में
कुछ दे न सका था सौगात में
मेरे दिल में शरारते थी भरी
तुम ग़ुम सी थी कुछ थी डरी
मुझे याद है वो मिलन की घड़ी
वो तबियत का बहाना याद है
वो शरारते मेरी ओर थी
वो शिकायते तेरी ओर थी
यूँ ही रात आँखों में गुजर गई
हमारे प्रीत की पहली वो भोर थी
मुझे याद हो वो सुहानी सी घडी
चिड़ियों का चहचहाना याद हैं
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