दर्द आँखों से बाहर छलकता ही नहीं













जाने किस मिट्टी का बनाया है
दिल मेरा रब ने
जो चोट खाकर भी
टूटता -चटकता ही नहीं

सह लेता हैं सारे
जख्मो को ख़ुद ब ख़ुद 
दर्द आँखों से बाहर
छलकता 
ही नहीं

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