लहरे तेज़ है बेकाबू है समंदर में अभी तो क्या हुआ



दूर तक धुंध ही धुंध फैला है अभी
तो क्या हुआ

चराग़ उम्मीदों के
दिल में जलाये रखो
धुंध छटते ही रास्ता
जिंदगी का जगमगा उठेगा

लहरे तेज़ है बेकाबू है समंदर में अभी
तो क्या हुआ

मस्तूल किश्ती का
हिम्मत से थामे रखो
हवाओ के रुख बदलते ही
साहिल से किश्ती जा लगेगा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.