बहुत हो चूका तेरा ख़्वाबों में आना जाना

 










बहुत हो चूका तेरा यूँ ही
रोज ख़्वाबों में आना जाना

ग़र हकीकत में हो 
तो मेरी नज़रो में भी आओ न

क्या कहा, मुझको बचाने की जिद है तुम्हे
तो किनारे से यूँ आवाज मत दो

यहाँ लहरों में फंसा हूँ
थोड़ी लहरों में भी आओ न

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