मुझको लगता है, मैं आराम कर रहा हूँ
अबतक तो बस गैर जरुरी कामों में उलझा रहा
ये जरुरी काम जिंदगी, तेरे सर-ए-शाम कर रहा हूँ
तुझे सजाने-सँवारने की कोशिशों में
तुझे ही परेशां सुबह- शाम कर रहा हूँ
थककर बैठा जो एक पल , तेरे ही राहों में
ए जिंदगी, तेरे वास्ते ये प्यारा काम कर रहा हूँ
अबतक कमाए है जो भी , तेरे ही दम से है
अपने अश'आर - नज़्मों को तेरे नाम कर रहा हूँ
अपने अश'आर - नज़्मों को तेरे नाम कर रहा हूँ
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