हो ग़र साथ में हमदम तो
सफ़र सुहाना लगता है
अहमियत रिश्तों के समझने
में एक ज़माना लगता है
कड़ी धुप में हल्की सी छांव भी
दरख़्त का आसियाना लगता है
मुफ़लिसी में चंद सिक्के भी
आदमी को ख़जाना लगता है
यूँ ही रोते हुए किसी बच्चे को
कभी हँसाना अच्छा लगता है
अर्सों से नाराज किसी दोस्त को
गले लगाना अच्छा लगता है
डूबते किसी शख्स को एक
तिनका भी सहारा लगता है
माँ की आँखों से बच्चा सदा
चमकता सितारा लगता है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.