मेरे अश'आर में अब लोग तुझे ढूंढने से लगे है

 


मस्तूर हो तुम मेरे हर 
अलफ़ाज़-ए-मोहब्बत में
ज़माने के नज़रों से महफूज़ 

कल चंद शे'र क्या पढ़ दिए
महफ़िल-ए-मोहब्बत में 

मेरे अश'आर में अब लोग
तुझे ढूंढने से लगे है

 
मस्तूर : पंक्तियों में उल्लेखित, छुपा हुआ, गुप्त,



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