अम्न -ओ- मोहब्बत के शज़र लगाए हम इस बारिश में



घर ग़रीब का न जल जाये फिर कोई आतिश में
नफरतों को दिल से मिटाये हम इस बारिश में

हम वतन मिलकर कदम बढ़ाये इस कोशिश में
वतन को जाने न देंगे हम फिर किसी गर्दिश में

गुलशन में ख़ार न उग जाये दुश्मनों की साज़िश में
अम्न -ओ- मोहब्बत  के शज़र लगाए हम इस बारिश में









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