आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर मनाये हम सभी



जश्न -ए -आज़ादी मनाये 
आओ मिलकर हम सभी
अम्न के कुछ ग़ुल खिलाये 
आओ मिलकर हम सभी

ख़ार उग न पाए कोई 
शहीदों के गुलशन में फिर
नफरतों को दिल से मिटाये, 
आओ मिलकर हम सभी  

गोलिया सीने पे खाई ,
 हॅसते- हॅसते जान दे दी 
छीनकर आज़ादी जिसने 
हमको हिन्दोस्तान दे दी 
याद कर शहीदों को दिल से
सर झुकाये हम सभी 

हर रंग के फूलों से 
मिलकर बना है ये चमन 
सारे जहाँ  में कहीं 
होगा नहीं ऐसा वतन 
हम-वतन  मिलकर रहेंगे 
क़सम खाये हम सभी 

तिरंगा आसमां में यूँ ही 
लहराता रहे आन-बान से  
विजय पथ पर भारत अपने 
 बढ़ता रहे यूँ ही शान से 
आज़ादी का अमृत महोत्सव 
मिलकर मनाये हम सभी 





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