ये बेशुमार दौलत, ये ऐश-ओ-'इशरत

 


ये बेशुमार दौलत, ये ऐश-ओ-'इशरत
ये जागीर तो मुझे जिंदगी का मज़ा देता है


गिराकर उसको ही कमाया था मैंने इसलिए
मेरा ज़मीर ही मुझे हर वक़्त सजा देता है

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