यूँ तो हरदम शोर-शराबे में शहर रहता है

 

यूँ तो हरदम शोर-शराबे  में
शहर रहता है
कम-ओ-बेश फिर भी 
तन्हाई के सहरा में 
बशर रहता है

चराग़ लौ जिनका  हर वक़्त
 मद्धम सा रहता है 
नूर उनका हल्का ही सही
रात -भर रहता है

सदाए दिल की ,ख़ामोशी के
अंधेरों में खो सी जाती है 
चाक दिल शब-ओ-रोज़
फ़क़त मुंतज़र रहता है

 ख़ाना-ए-दिल में चंद रोज 
रहकर मेहमाँ तो चले जाते है 
उनके यादों का असर 
 बा-असर उम्र भर रहता है

लाज़िम है तू मगर 
जानता हूँ बेवफ़ा है बहुत 
जिंदगी तुझसे हरदम
बिछड़ने का डर रहता है 



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कम-ओ-बेश - थोड़ा-बहुत
सहरा -मरुस्थल, रेगिस्तान
नूर -ज्योति, प्रकाश 
सदाए -आवाज़, ध्वनि
चाक दिल  - टुटा दिल 
शब-ओ-रोज़ - रातदिन,
मुंतज़र -जिस की प्रतीक्षा की जा रही हो
ख़ाना-ए-दिल -
हृदयरूपी घर
बा-असर -
प्रभावशाली, प्रभावी, असरदार

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