न वफ़ा किया न खफ़ा हुआ
मेरे साथ -साथ रहा मगर
न सनम हुआ न ख़ुदा हुआ
मेरे साथ -साथ रहा मगर
न सनम हुआ न ख़ुदा हुआ
तू हवा है ग़र तो बुझा मुझे
ये रहम तू कर न जला मुझे
मैं चराग़ हूँ शब् ए हिज़्र का
न जला हुआ न बुझा हुआ
मुझे अंधेरो से कोई गिला नहीं
कि उन्ही ने मुझको पनाह दी
टुटा सितारा हूँ आसमां का मैं
कई आफ़ताबों से दिलजला हुआ
सहराओं में ख़ामोशी के
सदाए दिल की कहीं खो गई
बहारें फ़ज़ा से गुजर गई
न फ़िज़ा हुआ न ख़िज़ाँ हुआ
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